जब वह मोसाद खुफ़िया एजेंट थी तो युद्ध के एक नाज़ी मुजरिम को पकड़ने की कई नाकाम कोशिशें की थी. उसकी वे सब यादें ताज़ा हो उठती हैं, जब वही मुजरिम 30 साल बाद फिर से लौट आता है.
जब वह मोसाद खुफ़िया एजेंट थी तो युद्ध के एक नाज़ी मुजरिम को पकड़ने की कई नाकाम कोशिशें की थी. उसकी वे सब यादें ताज़ा हो उठती हैं, जब वही मुजरिम 30 साल बाद फिर से लौट आता है.