मुजरिमों का इलाज करने वाली एक मनोचिकित्सक की कार का एक्सीडेंट हो जाता है. होश में आने पर वह देखती है कि वह उसी मानसिक अस्पताल में मरीज़ बनकर भर्ती है जहां वह अभी काम करती है.